आज के इस आर्टिकल में हम वॉटर ट्रीटमेंट से जुड़ी हुई बातों को जानेंगे की गंदे पानी को किस तरह water treatment plant के द्वारा साफ किया जाता है वाटर ट्रीटमेंट के सभी घटकों का क्या काम होता है। और भी बहुत कुछ तो कृपया इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अच्छा लगे तो कमेंट करके फीडबैक जरूर दें।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यप्रणाली को जानने से पहले हम यह समझते हैं कि पानी की ट्रीटमेंट करने की जरूरत क्यों पड़ती है क्यों नदियों तालाब में रहा हुआ पानी पीने लायक नहीं रहा तो चलिए शुरू करते हैं।
Table of Contents
पानी उपचार के हेतु | Objects of Water Treatment
कुदरत की तरफ से मिल रहा पानी जैसे कि जमीन में रहा पानी, नदी में बह रहा पानी, तालाब, झील वगेरे में रहे पानी को रो वाटर (raw water) कहते हैं।
इस पानी में विभिन्न प्रकार की अशुद्धियां होती है जैसे कि सस्पेंडेड मैटर, colloidal impurities (कलिल पदार्थ) अथवा तो डिसोल्वेड इम्प्यूरिटी रहती है।
इस प्रकार के अशुद्धियों को दूर करके पानी को योग्य गुणवत्ता प्राप्त करने की रीत को वॉटर ट्रीटमेंट कहते हैं।
पानी को शुद्ध करने का अथवा तो वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के मुख्य उद्देश्यों को हमने नीचे योग्य लिस्ट में बताए हैं।
- पानी में तैर रहे कचरे वगैरह को दूर करना।
- पानी में रहे हानिकारक पदार्थों तथा जहरीले पदार्थों वगैरह को दूर करना।
- पानी में से गंध तथा खराब स्वाद को दूर करना।
- पानी में से खुली हुई हानिकारक गैस को दूर करना।
- पानी में से बैक्टीरिया, जीवाणु, वायरस वगैरह को दूर करना।
- पानी को घर तथा इंडस्ट्रीज में उपयोग किया जा सके ऐसा बनाना।
चलिए जानते हैं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न भागों के बारे में।
Also Read: टाइल्स स्टीकर्स क्या होता है। कैसे लगाते हैं। फायदे और नुकसान।
वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के भाग | Components of Water treatment plant
वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न प्रकार के भागों को नीचे बताया गया है।
- Screening (स्क्रीनिंग)
- Plain Sedimentation (प्लेन सेडीमेंटेशन)
- Aeration (एरेशन)
- Sedimentation with Coagulation (सेडीमेंटेशन विथ कोएगुलेशन)
- Filtration (फिल्ट्रेशन)
- Disinfection (डिसिनफेक्शन)
- Softening (सॉफ्टनिंग)
1. Screening (स्क्रीनिंग)
नदी, तालाब, झील वगैरा के पानी को सबसे पहले स्क्रीनिंग किया जाता है जिसमें पानी में तैर रहे पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक बोतल, पेड़ पौधे के भाग, जानवरों के मृत्युदेह, मछलियां वगैरह को दूर किया जाता है।
स्क्रीनिंग यह वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की सबसे पहली प्रक्रिया है जिसमें दो प्रकार की स्क्रीनिंग होती है।
सबसे पहले बार स्क्रीनिंग होती है जिसमें स्टील के पाइप को वर्टिकली 2.5cm के अंतर पर फिट किया होता है। और एक जाली बनाई जाती है जिसमें नदी अथवा तो ताला वगैरह के पानी में बह रहे बड़े-बड़े कचरे फर्स्ट फस जाते हैं। इसे साफ करने के लिए मैकेनिकल क्लीनिंग डिवाइस का उपयोग किया जाता है जो इसी में फिट रहता है कंटीन्यूअसली कचरो को साफ करके साइड के drain में डाल देता है।
पानी को बाहर स्क्रीनिंग में से गुजरने के बाद फाइल स्क्रीनिंग में से गुजारा जाता है जिसमें 6mm साइज की जाली होती है इसमें पानी में रहे सूक्ष्म पदार्थ को दूर किया जात है।
Also Read: घर के सुंदर exterior view के लिए सही पेंट कलर कैसे पसंद करें?
2. Plain Sedimentation (प्लेन सेडीमेंटेशन)
पानी को स्क्रीनिंग करने के बाद पानी को प्लेन सेडिमेंटेशन टैंक में लाया जाता है जिसमें उसे काफी समय तक स्थिर रहने दे जाता है।
प्लेन सेडिमेंटेशन प्रक्रिया में पानी को टैंक में स्थिर होने दिया जाता है जिससे पानी में रहे ज्यादा घंटा वाले पदार्थ ताकि के तल पर बैठ जाते हैं और पानी साफ दिखने लगता है।
3. Aeration (एरेशन)
अरेशन यह एक प्रकार से पानी को नेचुरल साफ होने वाली प्रक्रिया जैसे ही है।
नदी में बह रहा पानी खुले मैदान में बहने के कारण हवा में रही ऑक्सीजन को एक जॉब करता है तथा खुद में रही बिलिंग गैस जैसे कि कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड वगैरह रिलीज करता है इस प्रक्रिया को सेल्फ क्लीनिंग ऑफ वाटर कहते हैं।
अरेशन भी एक प्रकार से यही प्रक्रिया है जिसमें पानी को खुली हवा में ग्रेविटी अरेटर (सीढ़ी की तरह बनाया गया स्ट्रक्चर) के ऊपर बहाकर हवा में रहे ऑक्सीजन को शोषित किया जाता है जिससे पानी में रहे अन्य गैसेस दूर हो जाते हैं।
4. Sedimentation with Coagulation (सेडीमेंटेशन विथ कोएगुलेशन)
प्लेन सेडिमेंटेशन में पानी में रही विलीन अशुद्धिया, कलिल अशुद्धियां, सूक्ष्म कण वगैरह दूर नहीं होते हैं।
एक रिसर्च से ऐसा पता चलता है कि सूक्ष्म कण जैसे कि 0.06mm साइज के कांप के कण को एक ही हाइट की टंकी के तल में बैठने में जितना समय लगता है उससे 10 गुना ज्यादा समय 0.02mm साइज के कांप के कण को लगता है टंकी के तल में नीचे बैठने में।
इससे यह पता चलता है कि पानी में रही सूक्ष्म अशुद्धियां को दूर करने में बहुत समय की जरूरत पड़ती है साथ ही साथ ज्यादा पानी को संग्रह करने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत पड़ती है जो कि ज्यादातर संभव नहीं रहती है।
इसलिए पानी में रही सुक्ष्म कण तथा अन्य अशुद्धियों को दूर करने के लिए पानी में रसायन (chemical) डालने में आता है। फिर उसे पानी के साथ बराबर मिलाया जाता है जिससे पानी में रही सूक्ष्म कण रसायन के कणों के साथ इकट्ठे हो जाते हैं मतलब जुड़कर बड़े कण में रूपांतर हो जाते हैं। साथ ही साथ एकत्रित होते समय अन्य अशुद्धियां जैसे कि कालिल अशुद्धियां को भी अपने साथ ले लेते हैं फिर बाद में यह अशुद्धिया धीरे-धीरे टंकी के तल पर बैठ जाती है जिससे पानी जल्द साफ हो जाता है।
इस प्रक्रिया को coagulati प्रक्रिया कहते हैं तथा जो chemical उपयोग किए जाते हैं उसे कोएगुलेंट कहते हैं।
Also Read: ईंट कैसी होनी चाहिए।
5. Filtration (फिल्ट्रेशन)
फिल्ट्रेशन प्रक्रिया में पानी में बच गई सुक्ष्म कण, वायरस, बैक्टीरिया, स्वाद, गंध वगैरह को दूर किया जाता है।
6. Disinfection (डिसइनफेक्शन)
डिसइन्फेक्शन में पानी में रही हुई पथोजेनिक बैक्टीरिया, जर्म्स, माइक्रो ऑर्गेनिजमस, वगैरह को दूर करने में आता है इस प्रक्रिया में पानी में क्लोरीन ऐड किया जाता है जो पानी को लंबे समय तक फ्रेश बनाए रखता है और उसे पीने लायक भी बनाता है।
7. Softening (सॉफ्टनिंग)
पानी में कैल्शियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट, क्लोराइड्स, सल्फेट वगैरह खुलने के कारण पानी कठोर हो जाता है। पानी के कठोर हो जाने के कारण रसोई स्वादहीन बनती है, कपड़े धोने में साबुन का ज्यादा खर्च होता है, पाइप फिटिंग्स, वाल्व, नल वगैरे पर सफेद पाउडर की परत जम जाने के कारण वह सभी ब्लॉक हो जाते हैं तथा पानी की कठोरता के कारण धातु पर जंग लगता है।
softening प्रोसेस में पानी की कठोरता को दूर किया जाता है।