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What is water cement ratio || वाटर सीमेंट रेश्यो क्या होता है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे की वाटर सीमेंट रेश्यो क्या होता है। वाटर सीमेंट रेश्यो से रिलेटेड इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स। वाटर सीमेंट रेश्यो क्यों जरूरी होता है। वाटर सीमेंट रेश्यो कितना होता है डिफरेंट टाइप्स के कंक्रीट वर्क लिए।
वाटर सीमेंट रेश्यो क्या होता है।
कंक्रीट में यूज़ होता पानी सीमेंट के गुणोत्तर को वाटर सीमेंट रटीओ कहते है। जिसे short में W/C Ratio भी कहते है।
वाटर सीमेंट रेश्यो से जुड़े इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स।
- सीमेंट के संपूर्ण हाइड्रेशन के लिए 38% पानी जरूरी है।
- जो सीमेंट में 38% से काम पानी का यूज़ होता है। मतलब वाटर सीमेंट रेश्यो 0.38 से कम होता है। जिससे सीमेंट की हाइड्रेशन पूरी नहीं होती है। और कंक्रीट की स्ट्रेंथ घटती है।
- जो सीमेंट में पानी 38% से ज्यादा होता है। मतलब वाटर सीमेंट रेश्यो 0.38 से ज्यादा होता है। जिससे ज्यादा पानी के कारण कंक्रीट में छिद्र है। जिससे कंक्रीट पोरस बनता है। जिससे कंक्रीट की स्ट्रेंथ घटती है।
- कंक्रीट की स्ट्रेंथ उसमे रहे सीमेंट के पेस्ट पर आधार रखता है। और सीमेंट पेस्ट की स्ट्रेंथ उसमे रहे सीमेंट की quantity पर आधार रखता है। सीमेंट पेस्ट की स्ट्रेंथ सीमेंट की quantity बढ़ने से बढ़ती है। और हवा अथवा पानी की quantity बढ़ने से घटती है।
- सामान्य परिस्थियों में कंक्रीट में वाटर सीमेंट रेश्यो 0.40 से 0.60 जितना रहता है।
- Fully compacted concrete में वाटर सीमेंट रेश्यो बढ़ने से कंक्रीट की स्ट्रेंथ घटती है।
वाटर सीमेंट रेश्यो (water cement ratio ) का कंक्रीट पर प्रभाव क्या पड़ता है?
जैसे की हमने water cement ratio से जुड़े इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स में जाना की वाटर सीमेंट रेश्यो का कंक्रीट में बढ़ जाने से कंक्रीट की स्ट्रेंथ घट जाती है। और कंक्रीट permeable बनता है। उसीको हम डिटेल में समझते है।
जैसा की आप ऊपर की इमेज को देख सकते हो जो की CONCRETE TECHNOLOGY BY M.S SHETTY की बुक में भी दिया हुआ है।
ऊपर की इमेज पैर से हम समज सकते है की कंक्रीट की स्ट्रेंथ डायरेक्टली कंक्रीट में उपयोग किये जा रहे water cement ratio पर आधार रखती है। जो की बहुत सारे परीक्षण करके पता चला है।
जैसे जैसे कंक्रीट में water cement ratio बढ़ता है वैसे वैसे कंक्रीट की स्ट्रेंथ घटती है। जो की कंक्रीट की durability को भी घटाती है। और कंक्रीट permeable बनता है।
कंक्रीट के permeable बनने का मतलब कंक्रीट में छिद्र बन जाते है जिससे पानी कंक्रीट के छिद्रो में जा सकता है। कंक्रीट के छिद्रो में पानी आ जाने के कारन कंक्रीट कमजोर होता है। और कंक्रीट में से पानी का leakage भी होने लगता है।
पानी का लीकेज होना कंक्रीट में से कंक्रीट के स्ट्रूक्टरो का ख़राब होने वाले कारनो में से एक है।
कंक्रीट में water cement ratio बढ़ जाने से कंक्रीट के placement दरमियान कंक्रीट में सेग्रीगेशन भी होता है। और कंक्रीट में एकदम छोटी छोटी क्रैक्स भी बढ़ जाती है। जिससे ultimately कंक्रीट की स्ट्रेंथ घटती है।