CIVIL ENGINEERING – Hindi Civil https://hindicivil.in Fri, 26 Apr 2024 16:08:48 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://i0.wp.com/hindicivil.in/wp-content/uploads/2021/01/cropped-ConstructionHelmet_illustration_UseBackgroundWhite_RGB_0.png?fit=32%2C32&ssl=1 CIVIL ENGINEERING – Hindi Civil https://hindicivil.in 32 32 188644875 घरों में, गर्मी में लगवाए सेंट्रल AC और जिए सुकून भरी जिंदगी | Central AC for home https://hindicivil.in/central-ac-for-home.html Fri, 26 Apr 2024 16:08:40 +0000 https://hindicivil.in/?p=1361 Read More »घरों में, गर्मी में लगवाए सेंट्रल AC और जिए सुकून भरी जिंदगी | Central AC for home]]> गर्मियों के दिन शुरू होते है लोग अपने घरो में Ac, कूलर और फ्रिज की बात करना शुरू कर देते है। आज के समय में तो सभी के घर में आपको फ्रिज देखने को मिलेगी।

सभी चाहते है की गर्मियों में उन्हे ठंडी ठंडी हवा मिले या उनके घर का वातावरण ठंडा रहे। जिसके लिए ( central ac for home ) सभी अपने घरो में Ac लगवाना चाहते है।

परन्तु दिन प्रतिदिन Ac क भाव भी Market में बढ़ता जा रहा है। जिससे लोग 1 या 2 स्प्लिट Ac लगवाते है। जो की 1BHK या 2BHK घर के लिए उपयुक्त भी है।

लेकिन जिनका घर बड़ा है जैसे की 3BHK और 4BHK जैसा तो उनके लिए स्प्लिट Ac लगवाना थोड़ा महंगा पड़ेगा। जिसके वजह से लोग अब central Ac ( central ac for home ) की मांग बढ़ा रहे है।

central Ac लगवाने का सबसे ज्यादा फायदा यह होता है की इसके 1 यूनिट लगवाने से पुरे घर में ठंडक बनी रहती है। साथ ही यह आपके स्प्लिट Ac के खर्चे को भी कम करता है।

यह स्प्लिट Ac की तुलना में electricity का भी कम use करती है। इसलिए आपने अधिकतर mall, theater या office में central ac के सिस्टम को देखा होगा।

Voltas 1 Ph Rot. SAC C2-N Venture I-Cassette AC |

voltas ac for home

यह central ac voltas कंपनी की है। electricity items के लिए यह कंपनी काफी अच्छी मानी जाती है। इस central ac की capacity 2 ton है।

यह central ac की cooling power 3200 watts है। इसका special feature ‎antibacterial coating, dehumidifier है। इस ac की energy efficiency 5 star है। इस ac का part number ‎2.00T Venture Casst1 Ph Rot. SAC(C2-N) है।

यह ac पर आपको 1 साल की warranty मिलती है। यह आपको market में या online easily मिल जायेगा। साथ ही कई online markets ( में तो offer भी चल रही है।

Samsung 3 Ton Inverter Cassette AC | central ac for home

samsung central ac for home

यह ac samsung brand की है। इस ac की capacity 3 ton है। इसका special feature Inverter, dust filter है। इस ac ( central ac for home ) का noise level 44 dB है।

यह ac का part number ‎AC100NN4DKC/TL यह है। इसकी खास बात यह है की इसकी annual energy consumption 6030 Kilowatt Hours लगती है।

यह ( central ac for home ) आपको online या आपके local market में आसानी से मिल जायेगा। साथ ही यह आपको गर्मी के season के लिए best रहेगा। जिससे आपके पुरे घर को ठंडा रखने में helpful रहेगा।

Voltas 3Ph Scroll SAC C2-NVenture I-Cassette | Voltas central ac

voltas ac 4ton

यह central ac voltas brand की है। जिसकी capacity 4 ton है। इसका cooling power 3190 watts है। यह ac का part number ‎4.0T Venture casst 3PhScroll SAC(C2-N) है।

इसकी noise level 41 dB है। इस ac का voltage 230 volts है। यह ac का energy efficiency 2 star है। इसकी special feature antibacterial coating, dehumidifier है।

LG LT-C246PLF Cassette AC | central ac for home

LG ac

यह central ac LG brand की है। जिसकी capacity 2 ton है। इस ac का cooling power 3450 watts का है। यह ac की energy efficiency 5 star है।

इस ac पर 2 साल की warranty मिलती है। इस ac ( central ac for home )का special feature antibacterial coating है। इस ac का noise level 28 dB है।

इस ac का model number LT-C246PLF0 यह है। यह ac आपको online या local market में आसानी से मिल जायेगा। जिससे गर्मियों के मौसम में ac की मांग बढ़ने से कई सारे ऑफर भी मिल रहे है।

Carrier 5 ton Central Air Conditioner |

carrier ac for home

यह central ac carrier brand की है। जिसकी capacity 5 ton है। यह ( central ac for home ) ac की origin of country India है। मतलब यह कंपनी india की है।

यह ac आपको ऑनलाइन जैसे amazon या india mart जैसे प्लेटफार्म पर से आसानी से मिल जायेगे या फिर आप local market से भी इसे खरीद सकते है।

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15+ घर का फ्रंट डिज़ाइन आईडिया | Ghar Ka Front Design Ideas https://hindicivil.in/ghar-ka-front-design-ideas.html Fri, 09 Feb 2024 16:22:22 +0000 https://hindicivil.in/?p=1282 Read More »15+ घर का फ्रंट डिज़ाइन आईडिया | Ghar Ka Front Design Ideas]]> आज के इस आर्टिकल में हम आप सभी से घर के फ्रंट डिज़ाइन के आइडियाज (Ghar Ka Front Design Ideas) शेयर करने वाले है। ये आइडियाज काफी यूनिक और अट्रैक्टिव होंगे।

मनुष्य के जीवन में घर एकमात्र ऐसी जगह है जहा पर वह पुरे दिन की थकान को दूर करता है अपने फॅमिली के साथ एन्जॉय करता है और सुखी जीवन जीता है। ऐसे सभी मनुष्य का यह सपना जरूर होता है की वह अपने जीवन में एक अच्छा घर जरूर बनवाये। उसके इसी सपने के घर अच्छा बनाने के लिए हमने आज के इस आर्टिकल में घर के फ्रंट की डिज़ाइन के कुछ आईडिया शेयर किये है। जो दिखने में काफी अट्रैक्टिव और सुन्दर है। आशा करता हु की ये डिज़ाइन आप सभी को पसंद आएगी।

Roman Style Ghar Ka Front Designs

रोमन स्टाइल्स के घर अपने सुन्दर देखाव तथा सिंपल डिज़ाइन के लिए जाने जाते है। इनकी खासियत इनमे कंस्ट्रक्ट की त्रिकोण आकर की छत है जो इसे काफी आकर्षित बनाती है। इस तरह के घर आपको ठन्डे प्रदेशों में ज्यादा देखने को मिलता है। इस स्टाइल्स के घर अब भारत में भी काफी कंस्ट्रक्ट किये जा रहे है। हमने रोमन स्टाइल्स घर के कुछ फ्रंट डिज़ाइन (Ghar Ka Front Design) को आपके साथ शेयर किये है।

Dutch Style Ghar Ka Front Designs

ये कुछ डच स्टाइल्स के घर का फ्रंट डिज़ाइन आईडिया है इन घरो की सुंदरता उसमे उपयोग किये गए पत्थर तथा लकड़ी के द्वारा बढ़ती है। यह घर पत्थर का उपयोग करके बनाये होते है। इन घरो में फ्रंट में उपयोग की गयी खिड़की भी इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाती है।

Modern Styles Ghar ka Front Design Ideas

भारत में अधिकतर घर का आयोजन किसी आर्किटेक्चर पर होता है तो वो है मॉडर्न आर्किटेक्चर के घर। यहाँ हमने कुछ मॉडर्न आर्किटेक्चर के घर का फ्रंट डिज़ाइन आईडिया शेयर किया है। यह घर बॉक्स टाइप में होते है जिसमे फ्रंट के एलिवेशन को विंडो, ग्लेज़िंग, ईंट, पत्थर वगेरे की दीवाल की डिज़ाइन का उपयोग करके सजाया हुआ होता है। इन तरह के घर में ऊपर के फ्लोर में फ्रंट में बालकनी ज्यादा सुन्दर लगती है।

तो यह थी कुछ खास प्रकार के घर का फ्रंट डिज़ाइन आईडिया (Ghar Ka Front Design Ideas). आपको यह देखकर कैसा लगा हमसे जरूर साझा करें। और आपको किसी अन्य प्रकार की डिज़ाइन की जरूर हो तो हमे कमेंट जरूर करें।

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भूमि सुधार क्या होता है और कैसे किया जाता है | Ground Improvement Techniques https://hindicivil.in/ground-improvement-techniques-in-hindi.html Thu, 08 Feb 2024 17:31:37 +0000 https://hindicivil.in/?p=1273 Read More »भूमि सुधार क्या होता है और कैसे किया जाता है | Ground Improvement Techniques]]> भूमि सुधार (Ground Improvement), या भूमि संशोधन, को प्रोजेक्ट भूमि संरचनाओं या स्थल आधार मिट्टियों का परिवर्तन कहा जाता है ताकि डिज़ाइन और/या परिचालन लोडिंग स्थितियों के अधीन बेहतर प्रदर्शन प्रदान किया जा सके (शेफर एट एल., 2012)। भूमि सुधार विधियाँ (Ground Improvement Techniques) उन्हें इंजीनियरिंग गुणस्तर को सुधारती हैं, जिनमें उपयुक्त परियोजना प्रदर्शन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

जबकि खराब मिट्टी की स्थिति को मिट्टी का उत्खनन और पुनः रखने, या शायद गहरे नींवों का उपयोग करके आसानी से संभाला जा सकता है, लेकिन यह अक्सर लागत प्रभावी होता है केवल किसी प्रकार के उपचार के माध्यम से स्थान पर मिट्टी को सुधारना।

भूमि सुधार क्या होता है?

भूमि सुधार (Ground Improvement) आमतौर पर एक विधि या तकनीक होती है जो उस भूमि के सुधार के लिए प्रयोग की जाती है जो किसी खराब स्थिति या विक्षिप्त स्थिति में होती है। विभिन्न भौतिकी तकनीकों का उपयोग किया जाता है अस्तित्व में मिट्टी को पुनः इंजीनियर करने के लिए उसकी विशेषताओं को सुधारने के लिए।

भूमि सुधार आमतौर पर उस निश्चित संरचना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है जो उस विशेष भूमि के ऊपर निर्माण किया जाना है।

Ground Improvement क्यों आवश्यक है?

भूमि का सुधार निम्नलिखित कारणों के लिए किया जाता है:

  • भूमि की लोड-बैरिंग क्षमता को सुधारना।
  • भूमि की घनत्व बढ़ाना।
  • भूमि के बौने और असंगत रासायनिक तत्वों को नियंत्रित करना।
  • भूमि की द्रवीकरण को कम करना।
  • ढलान की स्थिरता को बढ़ाना।

Ground Improvement के लाभ क्या हैं?

भूमि सुधार की विधियाँ कमजोर भूमिओं को बढ़ावा देती हैं साथ ही अनुपयुक्त और प्रदूषित भूमिओं को भी। भूमि सुधार के कई लाभ होते हैं जैसे कि:

  • समय की कम खपत क्योंकि डिज़ाइन और कार्यान्वयन अपेक्षाकृत तेज होता है।
  • जब तकनीकों को भूमि सुधार के लिए लागू किया जाता है, तब यह लगभग कोई कचरा उत्पन्न नहीं करता है। इसलिए इसमें कोई निपटान लागत नहीं होती है।
  • उपस्थिति का सरल डिज़ाइन और निर्माण।
  • भूमि सुधार विभिन्न प्रकार की भूमिओं पर लागू होता है और यह उन पर प्रभावी भी होता है।

Ground Improvement के लिए विभिन्न Techniques

भूमि सुधार के लिए विभिन्न तकनीकें मौजूद हैं। भूमि सुधार के तकनीकों को भूमि के प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। वे निम्नलिखित हैं:

कोहेजिव भूमि के लिए

  • पूर्व-संपीड़न
  • रेत के ड्रेन
  • विक ड्रेन
  • पत्थर कॉलम्स

कोहेजन-लेस भूमि के लिए

  • वाइब्रोफ्लोटेशन
  • टेरा प्रोब
  • कॉम्पैक्शन पाइल्स

भूमि सुधार के लिए सामान्य तकनीकें

  • भूमि की हटाई और पुनः रखी
  • भूमि का गहरा मिश्रण
  • ग्राउटिंग

कोहेसिव भूमिओं के लिए भूमि सुधार तकनीकें

पूर्व-संपीड़न

पूर्व-संपीड़न एक ऐसी भूमि सुधार तकनीक है जो मिट्टी जैसे चिकनी मिट्टी और रेत के लिए प्रयोग की जाती है। इसे प्रीलोडिंग या सर्चार्जिंग के रूप में भी जाना जाता है।

Pre Compression Techniques of Ground Improvement

इस तकनीक में, निर्माण के पहले एक विशेष भूमि क्षेत्र को निर्माण के लिए पहले ही एक सर्चार्ज से आवरित किया जाता है। इस सर्चार्ज को उचित ऊँचाई तक भरा जाता है ताकि नीचे की मिट्टी को पूर्व-संपीड़न करने के लिए योग्यता प्राप्त हो।

इसे मिट्टी के नीचे की संगठन के लिए एक अधिक समय के लिए बनाए रखा जाता है। सतह की ऊँचाई आमतौर पर 3 मीटर से 10 मीटर तक होती है।

संरचना के निर्माण की प्रारंभिक योजना के बाद सर्चार्ज को हटा दिया जाता है। यह वित्तीय तो है, लेकिन वक्त का भी खपती है। यह निर्माण को विलम्बित करता है इसलिए यह ज्यादा पसंद नहीं किया जाता है।

रेत नलिकाएँ

यह भूमि सुधार विधि चिकनी भूमि जैसे चिकनी मिट्टी और रेत के साथ भूमि की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भी प्रयुक्त की जाती है।

sand drain ground improvent technique

रेत नलिकाएँ आवश्यक गहराई पर रेखांकित रूप से निर्मित रेत स्तंभ होते हैं, संरचना के अनुसार। ये स्तंभ कमजोर भूमि को मजबूत करने और संघनित मिट्टी को मजबूत करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।

रेत नलिकाएँ मुख्य रूप से कम्प्रेसिबल फाउंडेशन भूमिओं को कड़ा करने और पोस्ट-निर्माण बसने को नियंत्रित करने के लिए बसने के समय दर को बढ़ाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। रेत नलिकाओं की प्रमुख दुर्घटना यह है कि यह एक बहुत ही महंगा तरीका है।

विक ड्रेन

रेत नलिकाओं के विकल्प के रूप में विक ड्रेन का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि रेत नलिकाओं का निर्माण काफी महंगा होता है। विक ड्रेन एक हाल ही में भौतिकी अभियंताओं द्वारा विकसित भूमि सुधार तकनीक है। विक ड्रेन पूर्वनिर्मित लंबवत नलिकाएं होती हैं जिनमें जीओसिंथेटिक परदे से ढके हुए कर्यान्वयन प्लास्टिक रिबन होते हैं।

Wick Drain Ground Improvement Technique

विक ड्रेन के शीर्ष पर एक हेडर ड्रेन उपलब्ध होता है, जिससे पोर पानी को निकाला जाता है। विक ड्रेन 100 मिमी चौड़े और लगभग 5 मिमी मोटे धारों के ड्रेन होते हैं।

विक ड्रेन लगभग रेत नलिकाओं को बदल चुके हैं क्योंकि यह रेत नलिकाओं के मुकाबले एक कम महंगा तरीका है। विक ड्रेन को ट्यूब का उपयोग करके मिट्टी में डाला जाता है।

जब विक ड्रेन मिट्टी में धकेले जाते हैं, तो परीक्षण ट्यूब धीरे-धीरे निकाले जाते हैं, जिससे विक ड्रेन मिट्टी में बच जाते हैं। हाल ही में, कुछ मशीनें भी ड्रेन की आसान स्थापना के लिए विकसित की गई हैं।

पत्थर कॉलम्स

लचीली मिट्टियों को भी भूमि सुधार के तरीके के रूप में पत्थर कॉलम का उपयोग किया जा सकता है। पत्थर कॉलम का निर्माण जमीन में वांछित गहराई तक होल बनाकर किया जाता है और होल को ग्रेवल या छोटे पत्थरों से भरा जाता है।

पत्थरों का आकार 6 मिमी से 40 मिमी तक हो सकता है। पत्थर कॉलम के लिए छेद वायब्रोफ्लोट के नाम से एक उपकरण का उपयोग किया जाता है।

stone columns ground improvement technique

इसमें लगभग 2 मीटर से 3 मीटर लंबी और 200 मिमी से 500 मिमी चौड़ी एक लंबी नलिका होती है। इसमें ऊपर और नीचे जेट्स से भरा गया है।

वायब्रोफ्लोट को घुमाने वाला द्रव्यमंडल मिट्टी के उत्खनन में मदद करता है। एक बार खदान हो जाने पर, छेद को पत्थरों या ग्रेवल से भर दिया जाता है।

पत्थर कॉलम का व्यास 0.5 मीटर से 0.7 मीटर तक होता है और दो संबंधित स्तंभों के बीच की दूरी आमतौर पर 1.5 मीटर से 3 मीटर होती है।

जोड़ सुधार विधियाँ बिना चिकित्सा मिट्टी या चिकित्सा संघटित होने वाली मिट्टी को सुधारने के लिए प्रयुक्त एक तकनीक या विधि होती है। विभिन्न भूमितगत तकनीकें विद्यमान मिट्टी को पुनर्इंजीनियर करने के लिए प्रयुक्त की जाती हैं, ताकि इसकी विशेषताएँ सुधारी जा सकें।

भूमि सुधार आमतौर पर निम्नलिखित कारणों के लिए किया जाता है:

  1. जमीन की ढोलाई-भरने की क्षमता में सुधार।
  2. मिट्टी की घनत्व बढ़ाना।
  3. जमीन की बसन और परिसरीयता को नियंत्रित करना।
  4. मिट्टी की तरलता को कम करना।
  5. धरती की स्थिरता को बढ़ाना।

इसके अलावा, भूमि सुधार के तकनीकी उपाय कई और लाभ भी प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. डिज़ाइन और कार्यान्वयन निर्दिष्ट रूप से तेजी से होता है।
  2. यदि तकनीक को भूमि सुधार के लिए लागू किया जाता है, तो यह विपणन की कोई अतिरिक्त लागत नहीं उत्पन्न करता है।
  3. अंडरस्ट्रक्चर का सरल डिज़ाइन और निर्माण।
  4. भूमि सुधार विभिन्न प्रकार की मिट्टियों पर लागू होता है और सुधारकारी भी होता है।

कॉम्पैक्शन पाइल्स

अपसंज्ञा मिट्टियों को कॉम्पैक्शन पाइल्स का उपयोग करके संशोधित किया जा सकता है। कॉम्पैक्शन पाइल निर्माण करने के लिए, जहां मिट्टी अनुमानित रूप से कमजोर होती है, वहाँ एक बंद खोखला पाइप भूमि में धकेला जाता है।

जब पाइप को मिट्टी में धकेला जाता है, तो पाइप को धकेलने के दौरान या वायब्रेशन द्वारा मिट्टी को कॉम्पैक्ट किया जाता है। फिर पाइप निकाला जाता है और छेदों को रेत से भर दिया जाता है ताकि एक कॉम्पैक्शन पाइल बना सके। पाइल का प्रभाव की त्रिज्या तकरीबन 3 से 4 गुना हो सकता है।

भूमि सुधार के लिए सामान्य तकनीकें

मिट्टी का हटाना और पुनः रखना

जब कमजोर मिट्टी की परत की मोटाई अनुमानित रूप से कम होती है, तो निकट क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी की नई परत रखना संभव होता है। यह तकनीक आसान और लागत प्रभावी होती है।

अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी का निकट क्षेत्र में उपलब्ध होना चाहिए, ताकि अनावश्यक परिवहन लागतों से बचा जा सके। मिट्टी का उत्खनन और पुनः भराई के लिए श्रमिकों या पारंपरिक भूमि चलाने वाली उपकरण का उपयोग किया जा सकता है।

गहरी मिट्टी का मिश्रण

भूमि को बेहतर बनाने के लिए मिट्टी में सीमेंट या चूना मिश्रित करने का काम किया जा सकता है। इस कार्य के लिए, एक विशेष प्रकार का ऑगर निकाला जाता है, जिसमें खोखला ड्रिल होती है।

ऑगर को भूमि में गहराई तक घुसाने के लिए उसे गहराई से घुसाया जाता है। यह निचले भाग में मिट्टी को सीमेंट या चूना के साथ मिलाने के लिए एक मिश्रण उपकरण के साथ प्रदान किया जाता है।

ऑगर फिर वापस खींचा जाता है और सीमेंट या चूना की गूंजन धार रोड से मिश्रण टूल तक पारित की जाती है। मिश्रण टूल मिट्टी के साथ सम्पूर्णता से मिश्रित होता है, जिससे स्थायित मिट्टी के ऊर्ध्वकोणीय स्तंभ बनते हैं।

ग्रौटिंग

भूमि सुधार के लिए ग्रौटिंग का उपयोग किया जाने वाला एक प्रकार का तकनीक है। यह विधि रेत, खाद और चट्टानों के लिए भी प्रभावी है। ग्राउट के दो प्रकार होते हैं जो सीमेंट ग्राउट और रासायनिक ग्राउट होते हैं।

जहां कमजोर मिट्टी की उपस्थिति होती है, वहाँ ग्रौट को एक इंजेक्टर या उपयुक्त उपकरण का उपयोग करके भूमि में इन्जेक्ट किया जाता है।

सीमेंट ग्रौट रासायनिक ग्रौट की तुलना में कम लागत में होता है। इसलिए, यह व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है। रासायनिक ग्रौट्स ज्यादातर वहां प्रयुक्त किए जाते हैं जहां सीमेंट ग्रौट्स अधिक प्रभावी नहीं होते हैं, जैसे की फाइन रेत या खाद जमाव।

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घर में पड़ी भंगार चीजों से बनाएं आकर्षित गमले, गार्डन दिखेगा एकदम अलग और खूबसूरत https://hindicivil.in/home-gardening-tips-from-waste-material.html Wed, 07 Feb 2024 08:17:01 +0000 https://hindicivil.in/?p=1266 Read More »घर में पड़ी भंगार चीजों से बनाएं आकर्षित गमले, गार्डन दिखेगा एकदम अलग और खूबसूरत]]> यदि आप गार्डनिंग का शौक रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहां आप अपने घर में पड़े पुराने सामानों से खूबसूरत गमले बनाने के निर्माण विधियों को जान सकते हैं। आजकल की व्यस्त जीवनशैली में लोग अक्सर अपने खाली समय में गार्डनिंग का आनंद लेते हैं।

इसके लिए वे अपने घर में छोटे से गार्डनिंग क्षेत्र को सजाते हैं, जिसे वे विभिन्न रंगीन फूलों से सजाते हैं। ऐसे में पौधों को लगाने के लिए गमलों की आवश्यकता होती है। अब खूबसूरत पौधों के लिए रचनात्मक गमले भी महत्वपूर्ण होते हैं।

इसके लिए आप अपने घर में उपलब्ध कुछ अनुपयोगी चीजों का उपयोग कर सकते हैं। ये आपको बाजार में उपलब्ध पॉट्स से अधिक सुंदर और सस्ते गमले प्राप्त करेंगे।

प्लास्टिक की बोतल

शायद यह सबसे व्यापक या सबसे प्रमोट किया जाने वाला “बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट” क्राफ्ट आइडिया हो। प्लास्टिक हमारे जीवन में लगभग ऑक्सीजन की तरह प्रवेश कर चुका है – हमारे घरों में हर दूसरा आइटम प्लास्टिक से बना होता है – क्या यह सच नहीं है? सभी प्लास्टिक आइटमों में, प्लास्टिक बोतलों का उपयोग सबसे आम है।

recycle plastic bottle in home gardening

प्लास्टिक के ठंडे पेय या पीने के पानी की बोतलें बहुत ही सुंदर तरीके से पौधों के प्लेंटर्स बनाने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं। आपको उन्हें बीच में काटना होगा (कैप संग) और उनके विपरीत धराने में कुछ छोटे छेद बनाने होंगे, जिससे अच्छे संचार के लिए। अब कुछ पौधे मिट्टी में डालें और धनिया, सौंफ, हरी मिर्च, पेटुनिया, या जो भी पौधा आपको पसंद है, उसे उगाएं।

आप घर पर कई प्लास्टिक बोतल के प्लेंटर्स बना सकते हैं, उन्हें ठीक से बांधने के लिए दोनों ओर रस्सियों का उपयोग करें, और फिर उन्हें अपनी दीवार पर लटका दें। यह आपकी दीवार के खिलाफ एक अच्छा उच्चतम बगीचा की तरह दिखेगा। साथ ही, इसका सौंदर्यिक मूल्य भी बढ़ जाएगा।

कोकोनट शेल

जैसे दशहरा आता है, हमारी रसोई में नारियलों का उपयोग बढ़ जाता है। विभिन्न मिठाइयाँ नारियलों का उपयोग करके बनाई जाती हैं, और फिर आपके पास बहुत सारे कोकोनट के शेल रह जाते हैं – क्या यह सच नहीं है?

coconut shell recycle into pot

इन कोकोनट शेल का उपयोग करके कुछ जड़ी बूटियाँ, सक्युलेंट्स, या माइक्रोग्रीन्स उगाएं। जब आप जड़ी बूटियाँ उगाते हैं, तो आप इन नारियल प्लांटर्स को रसोई की खिड़की के स्थान पर रख सकते हैं।

आप ओरेगैनो, चाइव्स, रोजमेरी, पुदीना, आदि जैसी स्थायी जड़ी बूटियाँ चुन सकते हैं, ताकि आप अपनी रसोई को साल भर चमका सकें।

कोकोनट शेल के नीचे एक छोटा सा छेद बनाएं जिससे पानी का निकास हो सके, और उसे अच्छी गुणवत्ता की जड़ी बूटी मिट्टी या पॉटिंग मिट्टी से भरें। आपके उगाने वाले जड़ी बूटियों के बीज लगाएं, पूरी तरह से पानी दें, कुछ सूर्यकिरणों को सुनने दें, और अपने व्यंजनों का आनंद लें।

आप इन छिलकों को रंग देने और उन पर आप उगाने वाली जड़ी बूटी का नाम लिखने के लिए कुछ पेंट का उपयोग कर सकते हैं।

वेस्ट डब्बे

उबाले घी, तेल आदि के पुराने वेस्ट डब्बे अब एक आकर्षक प्लांटर के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं। वेस्ट डब्बे को अच्छे से धोएं और सुखा लें। निचले भाग में संचार के लिए तीन या चार छेद बनाने के लिए हथौड़ा और नाख़ून का उपयोग करें।

recycle tin cans in home gardening

वेस्ट डब्बे को सजाने के लिए स्प्रे पेंट का उपयोग करें और एक एक्रिलिक पेन का उपयोग करके एक सुंदर उद्धरण लिखें। मिट्टी डालें और एक कैक्टस, सक्युलेंट, या ओर्नामेंटल पौधा या अपनी पसंद का कोई वार्षिक फूलों वाला पौधा रखें।

मिट्टी को पानी दें और सुन की कुछ किरणें भी मिलने का ध्यान रखें।

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नया घर खरीदने से पहले इन 6 बातों का जरूर ध्यान रखे। Home Buying Tips https://hindicivil.in/important-points-remember-before-buying-new-home.html Mon, 23 Oct 2023 11:16:18 +0000 https://hindicivil.in/?p=1103 Read More »नया घर खरीदने से पहले इन 6 बातों का जरूर ध्यान रखे। Home Buying Tips]]> घर एक आम आदमी का शायद सबसे बड़ा सपना होता है। और वह अकसर अपनी सारी पूँजी अपने सपनो के घर को खरीदने में लगा देता है। किसी भी नए घर को खरीदने से पहले हर व्यक्ति को कुछ बातों पर ध्यान जरूर देना चाहिए। अन्यथा उसे इसके कारण भविष्य में काफी नुकशान झेलना पढ़ सकता है। यह उसकी सबसे बड़ी गलती बन सकती है भले ही वो अनजाने में क्यों न की गयी हो।

चलिए आज ऐसे ही कुछ बातों को देखते है जिन्हे आपको अपने नए घर खरीदने से पहले जरूर ध्यान देना चाहिए।

बजटिंग (Budgeting)

किसी भी फॅमिली को अपने सपनो का घर खरीदने से पहले अपना एक फिक्स बजट बना लेना चाहिए। और उस बजट के हिसाब से ही नए घर के बारे में सोचना चईये।

घर के बजट बनाते वख्त अपनी इनकम (income) को रखकर बजट बनाये। अपने बजट में सभी मुद्दों को सुनिचित करें की किस तरह आप अपने नए घर को फिक्स किये बजट में खरीद सकते है। अपने इनकम के साथ अपनी मासिक खर्चो पर ध्यान देकर अपने घर के लिए बजेट बनाये।

घर खरीदने से पहले बजट बनाये

बजट बनाते वख्त ये भी सुनिचित करें की आप कितना डाउन पैमेंट भरेंगे और कितना अमाउंट की लोन करेंगे। हमेशा डाउन पेमेंट आपका बजट का 5% से 20% तक होना चाइये।

अक्सर लोग यही सबसे बड़ी गलती करते है अपने नए घर को खरीदने से पहले उसका बजट नहीं बनाते और वह अनिच्छित अमाउंट या बजट का घर ले लेते है जिससे उन्हें भविष्य में काफी तकलीफो का सामना करना पड़ता है। ऐसी बातों को नजर अंदाज करने से आपके पूरी लाइफ financial crisis से गुजर सकती है।

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सेविंग्स (Savings)

घर खरीदने से पहले दूसरी जो महत्वपूर्ण बात है जिसपर ज्यादा ध्यान देना चाहिए वो है सेविंग्स। और अक्सर सभी लोग इस को ध्यान में नहीं रखते है और अपनी लाइफ की पूरी सेविंग्स अपने घर को खरीदने में लगा देते है। जो की सबसे बड़ी गलती है।

” रिच डैड पूर डैड किताब के लेखक रोबर्ट कियोसाकि ने भी कहा है की अगर कोई आदमी अपनी पूरी सेविंग्स अपने सिर्फ घर को खरीदने में लगा देता है तो यह उसकी सबसे बड़ी गलती है। उस आदमी को आने वाले समयों में पैसों की तंगी से गुजरना पढ़ सकता है। “

Words of Robert Kiyosaki from book of RICH DAD POOR DAD
savings for new home

कोई भी इंसान सेविंग्स सिर्फ अपनी असीमित इच्छाओं की पूर्ती के लिए नहीं करता है वह सेविंग्स उसके भविष्य को ध्यान में रखकर करता है की भविष्य में किसी भी समस्या में, कैसी भी परिस्तिथि में वह जीवन वयतीत कर सके।

इसलिए आप अपनी पूरी सेविंग्स को एक घर खरीदने में खर्च करने के बजाय उसमे से कुछ भाग को ही उपयोग में ले।

आप ऐसा भी कर सकते है की अपनी सेविंग के भाग कर दे जैसे की। सेविंग के दो भाग करदे जिसमे से पहला भाग इमरजेंसी फंड की तरह सेव करे जिसका उपयोग सिर्फ मुश्किल परिस्तिथयों में ही करें। वही सेविंग के दूसरे भाग को आप अपने सपनो को पूरा करने में करें भले ही वो आपका सपनो घर हो यह कोई और दूसरी चीज।

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लोन (Loan)

किसी भी नए घर को खरीदने से पहले तीसरी मत्वपूर्ण बात है वो है लोन की रकम, आपको कितने अमाउंट का लोन करवाना चाहिए और लोन लेते समय किन बातों का ध्यान रखे।

अपने नए घर को खरीदने के लिये आपको घर की किमंत की 20% जितनी रकम डाउन पेमेंट के तौर पर रखे और बाकि की रकम का आप लोन करवा सकते है।

loan for new home

लोन यह एक्सटर्नल फैक्टर है जो की समय, जगह तथा बैंक के हिसाब से बदलती रहती है। घर की लोन लेने से पहले आप अपने क्रेडिट स्कोर भी चेक करें जिससे आपको लोन का आईडिया मिल जायेगा।

क्रेडिट स्कोर कम होने पर आपको ज्यादा लोन की रकम पर ब्याज देना पड़ सकता है। जिससे आपको ज्यादा समय तक लोन चुकाना पढ़ सकता है।

लोन में रकम की मासिक क़िस्त सबसे इम्पोर्टनेट कड़ी है नए लोग को घर खरीदने से पहले जिसे ध्यान देना जरूर है। लोन की मासिक क़िस्त आपकी इनकम के हिसाब से होना चाहिए।

आपको अपनी इनकम से खर्चे को निकालकर बच रही रकम का ही लोन करवाना चाहिए। और कोशिश करें की लोन का अंतराल कम से कम हो।

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घर की लोकेशन (Location)

एक बार घर की फाइनेंसियल प्लानिंग हो जाने के बाद जो सबसे इम्पोर्टेन्ट बात है वह है घर की लोकेशन जिसपर आपको बहुत ध्यान देने की जरूरत है।

ध्यान रखे की घर जो आप खरीदने वाले है वो रेजिडेंशियल जोन में नजदीक के 2 से 3 किलोमीटर की रेंज में कोई भी उघोग या फैक्ट्री न आये।

घर की लोकेशन

घर भी आपकी एक बहुत बड़ी इन्वेस्टमेंट होती है इसलिए आप भी चाहेंगे की घर से अच्छा रिटर्न मिले मतलब घर की कीमत समय समय पर बढ़ती रहें। इसलिए कोशिश करें की आपका नया घर की लोकेशन अच्छी जगह पर हो, आजु बाजू रेसिडेंशियल एरिया हो, रोड की कनेक्टिविटी हो, पानी तथा इलेक्ट्रिसिटी की सुविधा सरलता से उपलब्ध हो, और ध्यान रहे की एरिया में गवर्नमेंट म्युनिसिपल कारपोरेशन (Municipal Corporation) का भी अप्रूवल हो एरिया में।

और पढ़े : बाथरूम की सफाई कैसे करें 

दस्तावेज तथा अन्य डॉक्यूमेंट (Documents)

किसी भी घर को खरीदने से पहले यह जरूर ध्यान दे की वो घर के सभी कागजात तथा डाक्यूमेंट्स बराबर हो, घर की जमीन किसी भी फ्रॉड अथवा तो प्रॉब्लम में न हो, घर के दस्तावेज होने चाहिए और अन्य डाक्यूमेंट्स भी जो की गवर्नमेंट अथॉरिटी से एप्रूव्ड हो।

दस्तावेज तथा अन्य डॉक्यूमेंट

आप अपना घर एप्रूव्ड बिल्डर/कांट्रेक्टर/डीलर के पास से ही ख़रीदे। बहुत बार लोग सस्ते के चक्कर में कब्ज़ा रसीद वाला घर खरीद लेते है जिसे बाद में दस्तावेज करने में बहुत प्रॉब्लम होती है। और एक्स्ट्रा रुपये भी लगते है।

और पढ़े : बरसात में घर बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखें।

वास्तु (Architecture)

किसी भी नए घर को खरीदने से पहले उस घर का वास्तु जरूर चेक करें। उस घर में जो रूम है खासकर के टॉयलेट, बाथरूम, और किचन वास्तु के हिसाब से है या नहीं। घर में लाइट्स तथा प्राकृतिक हवा उजास कैसा है उसे भी चेक करें। अन्यथा आपको ज्यादा समय तक बिजली का उपयोग करना पड़ेगा जिससे बिजली का बिल भी ज्यादा आएगा।

वास्तु

वही घर में प्राकृतिक हवाउजास एक अच्छी तथा हेल्थी जीवन जीने के लिए भी काफी जरूरी है। ध्यान रहे की आपका घर सभी वास्तु मानदंडों के हिसाब से हो। कोशिश करें की घर में कम से कम वास्तु दोष हो। कुछ वास्तु मानदंडों का उदहारण निचे बताये अनुशार है।

  • किचन दक्षिण पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • टॉयलेट तथा बाथरूम उतर पक्षिम दिशा में होना चाहिए।
  • बैडरूम तथा स्टडी रूम पक्षिम अथवा तो दक्षिण पक्षिम में होना चाहिए।
  • पूजा रूम पूर्व में होना चाहिए। वगेरे

और पढ़े : बाथरूम के सिंक में जमा हो रहे पानी को कैसे दूर करे।

अन्य बातें

कुछ और भी सामान्य बातें है जो की ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है पर इनका भी ध्यान नहीं दिया तो काफी प्रोब्लेम्स का सामना करना पड़ सकता है।

  • अगर आप अपना घर डेवलपर से ले रहे हैं या सोसाइटी का ले रहे हैं तो ये जरूर देखिएगा की नगर निगम या विकास प्राधिकरण या जिला पंचायत से आपका घर मंजूर होना चईये वरना फिर से सरकार आपसे जमीन के दाम वसूल करेंगे।
  • घर को खरीदने से पहले tripartite agreement के बारे में जरूर चेक यानि की यह जरूर चेक करें की आपकी जमीन एग्रीकल्चरल जमीन न हो।
  • घर ऐसी जगह ले झा पर सभी प्रकार की फैसिलिटी सरलता से मिल सके जैसे की हॉस्पिटल, स्कूल, पुलिस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, सब्जी मार्किट, गार्डन्स, रोड कनेक्टिविटी वगेरे। जिससे आप कभी घर शिफ्ट करें तो आपको सामान्य जरूरियात की चीज वास्तु सरलता से मिलें।
  • आपका घर RERA (Real Estate Regulatory Authority) के पास से एप्रूव्ड जरूर होना चाहिए।
  • अपना नया घर लेने का डिसिशन (decision) भावना को ध्यान में रखकर न ले।
  • विज्ञापनों अथवा तो लोगो से प्रभावित होकर घर न ख़रीदे। घर खरीदने से पहले अपने घर का मुयाना (Visit) करें , एक बार देखकर आएं की एक्चुअल में कैसा दिखेगा।
  • घर लेने से पहले एक बार लैंड रिकॉर्ड भी जरूर चेक करें।
  • घर लेले से पहले एक बार बिल्डर/कांट्रेक्टर/डीलर से हिडन चार्जेस के बारे में जरूर डिसकस करे। उससे हिडन चार्जेस की साड़ी जानकारी ले, कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले उसे से अच्छे से पढ़े।

आशा करता हूँ की आपको यह आर्टिकल से कुछ जानने को मिला होगा और आप अपने सपने के घर को किसी भी प्रॉब्लम के बिना खरीद सके।

आपको इस आर्टिकल से कुछ मदद मिली हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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ये है दुनिया की सबसे ऊँची लकड़ी की बिल्डिंग। https://hindicivil.in/world-tallest-wooden-building.html Sun, 22 Oct 2023 14:42:44 +0000 https://hindicivil.in/?p=1099 Read More »ये है दुनिया की सबसे ऊँची लकड़ी की बिल्डिंग।]]> ऊँची बिल्डिंगो की बात आये तो बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) का नाम ही पूरे विश्व भर में अग्रिम है परन्तु बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) यह RC कंक्रिट की बिल्डिंग है। अगर पूरे विश्व में अगर सबसे बड़ी लकड़ी की बिल्डिंग की बात करें तो वो ऑस्ट्रेलिया में बनने जा रही है। चलिए विश्व की सबसे बड़ी लकड़ी की बिल्डिंग के बारे में संछेप में जानते है।

 दुनिया की सबसे ऊँची लकड़ी की बिल्डिंग
Image credit: Civil Engineering Web

Tower C6 : दुनिया की सबसे ऊँची लकड़ी की बिल्डिंग

ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में दुनिया की सबसे ऊँची लकड़ी की बिल्डिंग बनने जा रही है जिसका नाम C6 टावर है। इस बिल्डिंग की ऊंचाई 191.2 मीटर (627 फुट) होगा। यह टावर 50 फ्लोर (storey) की बनेगी। जिसमे 200 जितने अपार्टमेंट है। यह बिल्डिंग 42 प्रतिशत लकड़ी की है वही इस 52 प्रतिशत हिस्सा RC कंक्रीट का होगा।

C6 टावर
Image credit: Civil Engineering Web

यह बिल्डिंग ऑस्ट्रेलिया की पहेली कार्बोन नेगेटिव बिल्डिंग होगी जिसको बनाने में 7400 cubic meter लकड़ी का उपयोग होगा।

यह बिल्डिग दुनिया की सबसे बड़ी लकड़ी की बिल्डिंग होने के अलावा कन्स्ट्रक्शन इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा तथा अच्छा मार्वल भी है। इस C6 टावर में घर के साथ साथ अन्य फैसिलिटी भी उपलब्ध है जैसे की रूफटॉप गार्डन, अर्बन फार्म, सोलार पैनल इलेक्ट्रिसिटी वगेरे।

और पढ़े :

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बरसात में घर बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखें। https://hindicivil.in/home-construction-during-monsoon.html Tue, 28 Jun 2022 17:39:48 +0000 https://hindicivil.in/?p=925 Read More »बरसात में घर बनवाते समय किन बातों का ध्यान रखें।]]> नमस्कार दोस्तों, आप सभी का फिर से स्वागत है एक नए लेख में। आज के इस लेख में हम यह जानेंगे की बरसात के समय घर बनवाते समय कोन कौन सी तकलीफ आती है। और इन तकलीफो से कैसे निपटा जाये।

तो चलिए स्टार्ट करते है। पर यह जानकारी बताने से पहले एक बात और बोलूंगा की अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगे तो प्लीज कमेंट करें और अपने दोस्तों के साथ जरू शेयर करे।

बारिश के मौसम में घर बनाना यह एक बहुत ही चल्लेंजिंग (Challenging) टास्क होता है। बहुत से करने के कारन लोगो को बरसात में घर बनवाना पड़ता है। लेकिन उन्हें घर के कंस्ट्रक्शन में बरसात के कारन होने वाली ख़राब असर तथा नुक्शानो के बारे में नहीं पता होता है।

1. कंक्रीट सरफेस पर एक्स्ट्रा पानी भर जाना

rain during concreting work

बरसात के मौसम में कंक्रीटिंग करते समय अक्सर यह समस्या कड़ी हो जाती के कंक्रीटिंग के समय बारिश होने के कारन एक्स्ट्रा पानी कंक्रीट की सरफेस पर आ जाता है जो की धीरे धीरे कंक्रीट के साथ मिलने लगता है। जिससे कंक्रीट की गुणवत्ता (Quality) बिगड़ती है। और बहुत बार तो कंक्रीट खराब हो जाता है।

कंक्रीट में पानी का ज्यादा उपयोग करने अथवा तो होने के कारन कंक्रीट छिद्रालु (Porous) बनता है। जिससे कुछ समय के बाद कंक्रीट में लीकेज की समस्या भी पैदा होती है।

इसलिए इस मौसम में कंक्रीटिंग करते समय बरसात आने पर तुरंत ही कंक्रीटिंग काम को बंद कर देना चाहिए और किये हुए कंक्रीट काम को तारपोलिन शीट्स (Tarpaulin Sheets) से ढख देना चाहिए। जिससे कंक्रीट की गुणवत्ता बानी रहे।

और पढ़े : टाइल्स स्टीकर्स क्या होता है। कैसे लगाते हैं। फायदे और नुकसान।

2. बारिश के कारन होने वाले कीचड़ से एक्सीडेंट होने की संभावना

mud on construction site

बारिश होने के कारन जगहों जगहों पर कीचड़ अथवा तो गढ़े बन जाते है। जिससे बहुत बार लोगो को फिसलने के कारन शारीरिक नुकशान होता है। और यह घटना अक्सर सभी कन्स्ट्रक्शन साइट पर बरसात के मौसम में होती है।

इसलिए इस मौसम में चलने के लिए लकड़ी के पाटियों का उपयोग करना चाइये। कीचड़ भरी जगहों पर लकड़ी के पाटियों के ऊपर से ही चलना चाहिए जिससे फिसलने की संभावना कम हो जाती है।

और पढ़े : ईंट कैसी होनी चाहिए। ईंट की साइज क्या होती है

3. मकान बनाने वाली मटेरियल को सुखी तथा साफ़ जगहों पर संग्रह करना

material storage at site

अक्सर कंस्ट्रक्शन साइट पर इंजीनियर बरसात के समय में यह भूल जरूर करते है की वह सीमेंट को अच्छे तथा साफ़ जगहों पर संग्रह करते है परन्तु रेती, ईंट अथवा तो कपची को खुले में ही छोड़ देते है।

जिससे बारिश होने के कारन यह मैटेरियल्स पानी को सोख (Absorb) लेते है। पानी के कारन रेती का बल्किंग होता है। जिसके कारन कंक्रीट में सेग्रीगेशन तथा होनेकॉम्बिंग (Segregation and Honeycombing) जैसी समस्याएं पैदा होती है। जो की घर की मजबूती के लिए बहुत नुकशान कारक है।

इसलिए कंस्ट्रक्शन साइट पर पहले से ही सभी मटेरियल को संग्रह करने की सुविधा बनानी चाहिए जिससे बारिश होने पर मटेरियल तथा घर की गुणवत्ता बानी रहे।

और पढ़े : ग्रीन बिल्डिंग क्या है। भारत के टॉप 5 ग्रीन बिल्डिंग्स

4. इलेक्ट्रिक उपकरणों को खुली तथा पानी वाली जगहों से दूर रखना

बारिश में बहुत बार इलेक्ट्रिक करंट लगने के कारन बहुत से हादसे होते है। जिसमे अक्सर यह पाया जाता है की कंस्ट्रक्शन वर्कर अथवा तो इंजीनियर इलेक्ट्रिक उपकरणों को खुले में ही छोड़ देते है। जिससे बरसात होने पर पानी इलेक्ट्रिक उपकरणों के सम्पर्क में आते ही हादसें हो जाते है।

इसलिए इस मौसम में इलेक्ट्रिक उपकरणों को चालू न छोड़े तथा इन उपकरणों को खुली तथा पानी वाली जगहों से भी दूर रखे।

और पढ़े : वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कैसे काम करता है | Water Treatment Process

5. अधिक बारिश होने पर कंक्रीटिंग काम न करे

अंततः एक और बताऊ तो अधिक बारिश के समय कंक्रीटिंग काम को टाले। इस दरमियान किसी भी प्रकार का कंक्रीटिंग वर्क न करे।

तो यह थे कुछ समस्या तथा उनके उपाय जो की बरसात के समय घर कंस्ट्रक्शन में आते है। जिनके कारन बहुत सरे नुकशान होते है। कुछ नुकशान ऐसे होते है जो हमें स्पष्ट रूप से दिख जाते है जैसे एक्सीडेंट होना, कंक्रीट तथा अन्य कामो का नुकशान होना।

परन्तु कुछ ऐसे भी नुकशान होते है जो हमें काफी समय के बाद होते है। जैसे की लीकेज का होना जो की कंक्रीट में अधिक पानी का उपयोग करने से होता है। मटेरियल के कारन कंक्रीट का सेग्रीगेशन तथा होनेकॉम्बिंग होना वगेरे।

इसलिए बरसात के मौसम में घर बनवाते समय ऊपर बताये बातों का ध्यान जरूर रखे जिससे एक सुन्दर, मजबूत तथा टिकाऊ घर बनाने में सहायता होगी।

और पढ़े : बाथरूम के सिंक में जमा हो रहे पानी को कैसे दूर करे।

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वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कैसे काम करता है | Water Treatment Process https://hindicivil.in/water-treatment-plant.html Wed, 17 Nov 2021 13:37:34 +0000 https://hindicivil.in/?p=778 Read More »वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कैसे काम करता है | Water Treatment Process]]> आज के इस आर्टिकल में हम वॉटर ट्रीटमेंट से जुड़ी हुई बातों को जानेंगे की गंदे पानी को किस तरह water treatment plant के द्वारा साफ किया जाता है वाटर ट्रीटमेंट के सभी घटकों का क्या काम होता है। और भी बहुत कुछ तो कृपया इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अच्छा लगे तो कमेंट करके फीडबैक जरूर दें।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यप्रणाली को जानने से पहले हम यह समझते हैं कि पानी की ट्रीटमेंट करने की जरूरत क्यों पड़ती है क्यों नदियों तालाब में रहा हुआ पानी पीने लायक नहीं रहा तो चलिए शुरू करते हैं।

पानी उपचार के हेतु | Objects of Water Treatment

कुदरत की तरफ से मिल रहा पानी जैसे कि जमीन में रहा पानी, नदी में बह रहा पानी, तालाब, झील वगेरे में रहे पानी को रो वाटर (raw water) कहते हैं।

इस पानी में विभिन्न प्रकार की अशुद्धियां होती है जैसे कि सस्पेंडेड मैटर, colloidal impurities (कलिल पदार्थ) अथवा तो डिसोल्वेड इम्प्यूरिटी रहती है।

इस प्रकार के अशुद्धियों को दूर करके पानी को योग्य गुणवत्ता प्राप्त करने की रीत को वॉटर ट्रीटमेंट कहते हैं।

पानी को शुद्ध करने का अथवा तो वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के मुख्य उद्देश्यों को हमने नीचे योग्य लिस्ट में बताए हैं।

  1. पानी में तैर रहे कचरे वगैरह को दूर करना।
  2. पानी में रहे हानिकारक पदार्थों तथा जहरीले पदार्थों वगैरह को दूर करना।
  3. पानी में से गंध तथा खराब स्वाद को दूर करना।
  4. पानी में से खुली हुई हानिकारक गैस को दूर करना।
  5. पानी में से बैक्टीरिया, जीवाणु, वायरस वगैरह को दूर करना।
  6. पानी को घर तथा इंडस्ट्रीज में उपयोग किया जा सके ऐसा बनाना।

चलिए जानते हैं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न भागों के बारे में।

Also Read: टाइल्स स्टीकर्स क्या होता है। कैसे लगाते हैं। फायदे और नुकसान।

वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के भाग | Components of Water treatment plant

वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न प्रकार के भागों को नीचे बताया गया है।

  1. Screening (स्क्रीनिंग)
  2. Plain Sedimentation (प्लेन सेडीमेंटेशन)
  3. Aeration (एरेशन)
  4. Sedimentation with Coagulation (सेडीमेंटेशन विथ कोएगुलेशन)
  5. Filtration (फिल्ट्रेशन)
  6. Disinfection (डिसिनफेक्शन)
  7. Softening (सॉफ्टनिंग)

1. Screening (स्क्रीनिंग)

Screening in wter treatment plant

नदी, तालाब, झील वगैरा के पानी को सबसे पहले स्क्रीनिंग किया जाता है जिसमें पानी में तैर रहे पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक बोतल, पेड़ पौधे के भाग, जानवरों के मृत्युदेह, मछलियां वगैरह को दूर किया जाता है।

स्क्रीनिंग यह वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की सबसे पहली प्रक्रिया है जिसमें दो प्रकार की स्क्रीनिंग होती है।

सबसे पहले बार स्क्रीनिंग होती है जिसमें स्टील के पाइप को वर्टिकली 2.5cm के अंतर पर फिट किया होता है। और एक जाली बनाई जाती है जिसमें नदी अथवा तो ताला वगैरह के पानी में बह रहे बड़े-बड़े कचरे फर्स्ट फस जाते हैं। इसे साफ करने के लिए मैकेनिकल क्लीनिंग डिवाइस का उपयोग किया जाता है जो इसी में फिट रहता है कंटीन्यूअसली कचरो को साफ करके साइड के drain में डाल देता है।

पानी को बाहर स्क्रीनिंग में से गुजरने के बाद फाइल स्क्रीनिंग में से गुजारा जाता है जिसमें 6mm साइज की जाली होती है इसमें पानी में रहे सूक्ष्म पदार्थ को दूर किया जात है।

Also Read: घर के सुंदर exterior view के लिए सही पेंट कलर कैसे पसंद करें?

2. Plain Sedimentation (प्लेन सेडीमेंटेशन)

Plain sedimentation tank in water treatment plant

पानी को स्क्रीनिंग करने के बाद पानी को प्लेन सेडिमेंटेशन टैंक में लाया जाता है जिसमें उसे काफी समय तक स्थिर रहने दे जाता है।

प्लेन सेडिमेंटेशन प्रक्रिया में पानी को टैंक में स्थिर होने दिया जाता है जिससे पानी में रहे ज्यादा घंटा वाले पदार्थ ताकि के तल पर बैठ जाते हैं और पानी साफ दिखने लगता है।

3. Aeration (एरेशन)

अरेशन यह एक प्रकार से पानी को नेचुरल साफ होने वाली प्रक्रिया जैसे ही है।

नदी में बह रहा पानी खुले मैदान में बहने के कारण हवा में रही ऑक्सीजन को एक जॉब करता है तथा खुद में रही बिलिंग गैस जैसे कि कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड वगैरह रिलीज करता है इस प्रक्रिया को सेल्फ क्लीनिंग ऑफ वाटर कहते हैं।

अरेशन भी एक प्रकार से यही प्रक्रिया है जिसमें पानी को खुली हवा में ग्रेविटी अरेटर (सीढ़ी की तरह बनाया गया स्ट्रक्चर) के ऊपर बहाकर हवा में रहे ऑक्सीजन को शोषित किया जाता है जिससे पानी में रहे अन्य गैसेस दूर हो जाते हैं।

4. Sedimentation with Coagulation (सेडीमेंटेशन विथ कोएगुलेशन)

Sedimentation with coagulation in water treatment plant

प्लेन सेडिमेंटेशन में पानी में रही विलीन अशुद्धिया, कलिल अशुद्धियां, सूक्ष्म कण वगैरह दूर नहीं होते हैं।

एक रिसर्च से ऐसा पता चलता है कि सूक्ष्म कण जैसे कि 0.06mm साइज के कांप के कण को एक ही हाइट की टंकी के तल में बैठने में जितना समय लगता है उससे 10 गुना ज्यादा समय 0.02mm साइज के कांप के कण को लगता है टंकी के तल में नीचे बैठने में।

इससे यह पता चलता है कि पानी में रही सूक्ष्म अशुद्धियां को दूर करने में बहुत समय की जरूरत पड़ती है साथ ही साथ ज्यादा पानी को संग्रह करने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत पड़ती है जो कि ज्यादातर संभव नहीं रहती है।

इसलिए पानी में रही सुक्ष्म कण तथा अन्य अशुद्धियों को दूर करने के लिए पानी में रसायन (chemical) डालने में आता है। फिर उसे पानी के साथ बराबर मिलाया जाता है जिससे पानी में रही सूक्ष्म कण रसायन के कणों के साथ इकट्ठे हो जाते हैं मतलब जुड़कर बड़े कण में रूपांतर हो जाते हैं। साथ ही साथ एकत्रित होते समय अन्य अशुद्धियां जैसे कि कालिल अशुद्धियां को भी अपने साथ ले लेते हैं फिर बाद में यह अशुद्धिया धीरे-धीरे टंकी के तल पर बैठ जाती है जिससे पानी जल्द साफ हो जाता है।

इस प्रक्रिया को coagulati प्रक्रिया कहते हैं तथा जो chemical उपयोग किए जाते हैं उसे कोएगुलेंट कहते हैं।

Also Read: ईंट कैसी होनी चाहिए।

5. Filtration (फिल्ट्रेशन)

Filtration in water treatment plant

फिल्ट्रेशन प्रक्रिया में पानी में बच गई सुक्ष्म कण, वायरस, बैक्टीरिया, स्वाद, गंध वगैरह को दूर किया जाता है।

6. Disinfection (डिसइनफेक्शन)

डिसइन्फेक्शन में पानी में रही हुई पथोजेनिक बैक्टीरिया, जर्म्स, माइक्रो ऑर्गेनिजमस, वगैरह को दूर करने में आता है इस प्रक्रिया में पानी में क्लोरीन ऐड किया जाता है जो पानी को लंबे समय तक फ्रेश बनाए रखता है और उसे पीने लायक भी बनाता है।

7. Softening (सॉफ्टनिंग)

पानी में कैल्शियम तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट, क्लोराइड्स, सल्फेट वगैरह खुलने के कारण पानी कठोर हो जाता है। पानी के कठोर हो जाने के कारण रसोई स्वादहीन बनती है, कपड़े धोने में साबुन का ज्यादा खर्च होता है, पाइप फिटिंग्स, वाल्व, नल वगैरे पर सफेद पाउडर की परत जम जाने के कारण वह सभी ब्लॉक हो जाते हैं तथा पानी की कठोरता के कारण धातु पर जंग लगता है।

softening प्रोसेस में पानी की कठोरता को दूर किया जाता है।

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घर के सुंदर exterior view के लिए सही पेंट कलर कैसे पसंद करें? https://hindicivil.in/%e0%a4%98%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%b0-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%82-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%b8%e0%a4%b9%e0%a5%80.html Thu, 07 Oct 2021 17:06:30 +0000 https://hindicivil.in/?p=739 Read More »घर के सुंदर exterior view के लिए सही पेंट कलर कैसे पसंद करें?]]> घर की सुंदरता में सबसे अहम योगदान किसी का होता है तो वह घर के बाहरी तथा अंधेरी दीवारों पर किया गया पेंट कलर। घर निर्माण कार्य की पूर्णता अंत exterior देखाव पर ही आधार रखती है। जिसमें योग्य पेंट कलर का होना बहुत महत्वपूर्ण है। सही कलर घर में लोगों के visualisation को बदल देता है। पॉजिटिविटी का संचार करता है। तथा लाइटिंग को भी कंट्रोल करता है।

आज के इस आर्टिकल में हम घर की बाहरी दीवारों के लिए योग्य पेंट कलर कैसे पसंद करें उसके बारे में कुछ टिप्स साझा करेंगे।

घर की बाहरी दीवारों के लिए पेंट कलर कैसे चुने?

दीवारों के लिए योग्य कलर चुनने के लिए सभी बाते नीचे बताए गए है।

1. कम कम से कलर का उपयोग

Simple exterior paint color building

घर की बाहरी दीवारों पर ज्यादा कलर कॉन्बिनेशन का उपयोग करने से घर की बाहरी सुंदरता अव्यवस्थित लगने लगती है। इसलिए घर में सिंपल तथा कम से कम कलर का उपयोग करना ज्यादा बेहतर होता है एक ही कलर के विभिन्न प्रकार का उपयोग करना भी ज्यादा अच्छा होता है। एक ही कलर के विभिन्न प्रकारों का उपयोग करने से अधिक फर्निशिंग मिलती है।

और पड़े : फ्रेम्ड स्ट्रक्चर और लोड बेअरिंग स्ट्रक्चर के बीच का फर्क

2. कलर की पसंद

योग्य कलर की पसंदगी करने के लिए आप विभिन्न घरों में किए गए कलरों का refrence ले सकते हैं जिससे आप, आपके पसंदीदा कलर का सिलेक्शन जल्द से जल्द कर पाएंगे।

विभिन्न घरों में किए गए कलर का रेफरेंस देखकर हमें हमारे घर के लिए एक कलर का आईडिया जाता है। दूसरे रेफरेंस की मदद से आपको कलर सिलेक्शन में बहुत मदद मिलेगी तथा आपके समय का भी बचत होगा साथ ही साथ आप कंफ्यूज भी नहीं होंगे कि कौन सा कलर बेस्ट है आपके घर के लिए।

3. लाइट फैक्टर

शेड (shade) कार्ड पर आप जो रंग और शेड चुनते हैं वह आपके घर की बाहरी दीवारों पर लगने पर बहुत अलग भी दिख सकता है इसलिए संभव हो तो कुछ रंग के सैंपल को दीवारों पर प्रयोग करके देखना चाहिए जिससे आपको नेचुरल लाइटिंग में कलर का प्रभाव पता चल सकता है।

और पड़े : कारपेट एरिया, बिल्ट उप एरिया, और सुपर बिल्ट उप एरिया क्या होता है

4. आसपास का विस्तार

लाइट पेंट कलर exterior view

घर की सुंदर दिखाओ के लिए जितना योग्य कलर महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण आसपास का विस्तार होता है जो कि कलर सिलेक्शन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

घर का लोकेशन तथा आसपास का कुदरती तथा मानव सर्जित विस्तार को ध्यान में रखकर ही कलर का पसंद करना चाहिए।

पेंट कलर पसंद करते समय, कलर ऐसा पसंद करें जो आपके घर के लोकेशन के मूड तथा क्लाइमेट के साथ मेल खाता हो।

5. ड्यूरेबिलिटी

घर की सुंदरता के लिए बाहरी दीवारों पर किए गए पेंट्स का योग्य अंतराल पर मरम्मत काम (मेंटेनेंस) बहुत जरूरी होता है इसलिए ऐसा कलर पसंद करें जो ज्यादा ड्यूरेबल हो तथा कम मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती हो।

Sattin तथा egg sheel paints अच्छी ड्यूरेबिलिटी प्रदान करते हैं। वही सरलता से साफ हो जाते हैं। साथ ही साथ अच्छी फिशिंग भी प्रदान करते हैं।

और पढ़े: घर बनाने के लिए ईंट कैसी होनी चाहिए

6. अन्य बातें

एक्सटीरियर व्यू of building

घर का एक्सटीरियर व्यू योग्य पेंट कलर के अलावा, फर्निशिंग्स (furniturework) आर्टवर्क, तथा डेकोरेटिव प्लांट्स के उपयोग से भी बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

  • कम कलर का उपयोग करें सकते हो तो एक ही कलर के उपयोग विभिन्न शेड्स का उपयोग करें जो कि फर्निशिंग भी प्रदान करते है।
  • कलर का सिलेक्शन करने के लिए दूसरे घरों में किए गए कलरों का रेफरेंस ले जिससे आप जल्द से जल्द अपने पसंदीदा कलर को सिलेक्ट कर सकेंगे।
  • कलर के कुछ नमूनों को घर की दीवारों पर लगा कर देखें जिससे सूर्य प्रकाश में कलर का प्रभाव पता चल सकता है।
  • आसपास के विस्तार तथा क्लाइमेट कंडीशन को मेल खाए ऐसा कलर पसंद करें।
  • ज्यादा durability तथा मेंटेनेंस काम कम करना पड़े ऐसा कलर चुने।
  • Decorative plants तथा फर्नीचर्स का उपयोग करें जिससे घर का एक्सटीरियर व्यू और सुंदर बनता है।

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कारपेट एरिया, बिल्ट उप एरिया, और सुपर बिल्ट उप एरिया क्या होता है https://hindicivil.in/carpet-area-built-up-area-kya-hota.html Sat, 10 Apr 2021 07:58:17 +0000 https://hindicivil.in/?p=542 Read More »कारपेट एरिया, बिल्ट उप एरिया, और सुपर बिल्ट उप एरिया क्या होता है]]> आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की कारपेट एरिया, बिल्ट उप एरिया, और सुपर बिल्ट एरिया क्या होता है। ये टेक्निकल शब्द बिल्डिंग की प्लानिंग के वख्त बहुत ज्यादा उपयोग होता है। तो इनके बारे में हम डिटेल में जानेंगे इस आर्टिकल में।

कारपेट एरिया क्या होता है?

बिल्डिंग के फ्लोर एरिया में हम जितने एरिया को कारपेट से ढख सकते है उतने एरिया को कारपेट एरिया कहते है। मतलब की फ्लोर एरिया का वो एरिया जिसका हम उपयोग कर सकते है विभिन्न हेतुओ के लिए।

कारपेट एरिया में दिवाल का एरिया, सीढ़ी का एरिया, कॉमन एरिया जैसे की लॉबी की एरिया, प्ले एरिया, गार्डन एरिया, वगेरे का समावेश नहीं होता है।

कारपेट एरिया क्या होता है

कारपेट एरिया में कौन कौन से भागों का समावेश होता है?

कारपेट एरिया में निचे बताये गए भागों का समावेश होता है।

  • बैडरूम (Bedroom)
  • लिविंग रूम (Living Room)
  • किचन रूम (Kitchen Room)
  • डाइनिंग रूम (Dining Room)
  • स्टडी रूम (Study Room)
  • स्टोर रूम (Store Room)
  • बाथरूम (Bathroom)
  • टॉयलेट (Toilet)
  • बालकनी (Balconies)

ऊपर बताये गए सभी भागो के एरिया का समावेश कारपेट एरिया में होता है।

इन्हें भी पड़े : ग्रीन बिल्डिंग क्या है। भारत के टॉप 5 ग्रीन बिल्डिंग्स

कारपेट एरिया में कौन कौन से भागों का समावेश नहीं होता है?

कारपेट एरिया में निचे बताये गए भागों का समावेश नहीं होता है।

  • बाहरी और अंदर की दिवाल
  • सामान्य एरिया (Common Area)
  • छत का एरिया

बिल्ट उप एरिया क्या होता है?

बिल्डिंग के कारपेट एरिया में हम दीवाल के एरिया को जोड़ दे तो मिलने वाले एरिया को बिल्ट उप एरिया कहते है। मतलब बिल्डिंग का औ एरिया जिसमे हम कंस्ट्रक्शन कर सकते है उसे बिल्ट उप एरिया कहते है।

बिल्डिंग के कुल फ्लोर एरिया का लगभग 30% एरिया दीवाल का यानि की बिल्ट उप एरिया होता है। मतलब की 70% एरिया कारपेट एरिया होता है।

उदाहरण से समझे तो 100sqm फ्लोर एरिया हो तो, बिल्ट उप एरिया 30sqm और कारपेट एरिया 70sqm जितना होता है।

बिल्ट उप एरिया में कौन कौन से भागों का समावेश होता है?

बिल्ट उप एरिया में निचे बताये गए भागों का समावेश होता है।

  • कारपेट एरिया (Carpet Area)
  • बाहरी और अंदर की दीवालो का एरिया (External and Internal walls)
  • बाहरी बालकनी (External Balconies)
  • सर्विस शाफ्ट्स (Service Shafts)

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बिल्ट उप एरिया में कौन कौन से भागों का समावेश नहीं होता है?

  • छत (Open terrace)
  • सीढ़ी (Staircase)
  • लिफ्ट शाफ़्ट (Lift Shaft)
  • गार्डन (Garden)
  • क्लब हाउस (Club House)
  • स्विमिंग पूल (Swimming Pool), वगेरे।

बिल्ट उप एरिया को प्लिंथ एरिया (Plinth area) भी कहते है।

सुपर बिल्ट उप एरिया क्या होता है?

बिल्ट उप एरिया में सामान्य एरिया (common area) जैसे की सीढ़ी का एरिया, लिफ्ट का एरिया, लॉबी (Lobby) का एरिया वगेरे को जोड़ दिया जाये तो मिलने वाला एरिया को सुपर बिल्ट उप एरिया कहते है।

सुपर बिल्ट उप एरिया में कौन-कौन से भागों का समावेश होता है?

सुपर बिल्ट उप एरिया में निचे बताये गए भागो का समावेश होता है।

  • सीढ़ी (Staircase)
  • लिफ्ट (Lift shaft)
  • लॉबी (Lobby)
  • क्लब हाउस (Club house)
  • स्विमिंग पूल (Swimming Pool), वगेरे।

सुपर बिल्ट उप एरिया में कौन-कौन से भागों का समावेश नहीं होता है?

सुपर बिल्ट उप एरिया में निचे बताये हुए भागों का समावेश नहीं होता है।

  • Play area
  • Garden area
  • Park
  • Driver way
  • Roof terrace, वगेरे।

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